तुम बीवी हो मेरी
चैप्टर 38 तुम बीवी हो मेरी
अब तक आपने पढ़ा मीरा तीनो को डांटती है राहुल।के मुंह से डैड सुन शौर्य बहुत खुश होता है सब मेंशन आ जाते है शौर्य उनको उनका कमरा दिखाता है अपने बेड के पीछे लगी तस्वीर देख सिद्धार्थ शॉक हो जाता है
अब आगे
सिद्धार्थ अपनी और तनुजा की फोटो देख शॉक हो जाता है वो शौर्य को देखता है "ये कब ली तूने" शौर्य मुस्कुरा देता है और मीरा को लेकर चला जाता है सिद्धार्थ उस फोटो को छु कर देखता है "तुम्हे एक दिन मै अपना बनाकर रहूँगा"
शौर्य मीरा को एक कमरे मे लेकर आता है मीरा उस कमरे को ध्यान से देखती है कमरा बिल्कुल वैसा था जैसा उसे पसंद था ...बड़ा सा कमरा, पर्पल पिंक कलर का पेंट बीच मे गोल बड़ा सा बेड बेड के पीछे उसकी बड़ी सी तस्वीर जिसमे उसने बुक पकड़ी है और लॉलीपॉप खा रही है खिड़की के दोनो साइड लटकता विष केचर पुरे कमरे मे उसके बचपन की फोटो थी कुछ फोटोस् मे शौर्य भी था मीरा के चेहरे पर अलग ही खुशी थी उस कमरे को देखके वो शौर्य से पूछती है ये "फोटोस् आपको कहाँ से मिली" शौर्य आराम से कहता है
"जब मुझे तुम्हारे मरने की खबर मिली, मै तुम्हारे घर गया था वही से लेकर आया" मीरा उसे देखती है फिर कहती है "क्या मेरी तस्वीरो को फेक दिया था माँ ने" शौर्य को उसका उदास होना अच्छा नही लगता है तो वो उसका ध्यान भटकाने के लिए कहता है तुम्हे ये तस्वीर याद है "ये मैने चुपके से ली थी जब तुम बैठ के पढ़ रही थी" मीरा का ध्यान उस तस्वीर पर चला जाता है वो मुह बनाके कहती है "ऐसी तस्वीर कोन लेता है लॉलीपॉप खाते हुए"
शौर्य कहता है "तुम लॉलीपॉप खाते हुए इतनी क्यूट लगती हो मै क्या करू" मीरा कुछ नही कहती है पूरे कमरे को देखने लगती है फिर कहती है "क्या ये मेरा रूम है" शौर्य उसे पीछे से बाहों मे भर लेता है और उसके कंधे पर सर रखके कहता है "ये हमारा रूम है" शौर्य के ऐसे छूने से मीरा को अजीब सा लगता है वो धीरे से शौर्य से दूर होती है और थोड़ा घबरा कर कहती है "क्या आप बाहर जायेंगे मुझे कपड़े बदलना है और किसी मेड को बुला दीजिये मेरी हेल्प करने के लिए"
शौर्य कुछ पल उसको देखता है ,उसे मीरा पर बहुत प्यार आ रहा था उसे वो बहुत प्यारी लग रही थी थोड़ी घबराई सी थोड़ी शर्माई सी शौर्य उसके करीब जाने लगता है उसे अपने पास आते देख मीरा पीछे होने लगती है वो पीछे होते हुए कहती है "वो.. वो मै नही मुझे"
शौर्य उसे घबराता देख शरारत से कहता है "क्या कह रही हो साफ साफ कहो" शौर्य को उसे ऐसे देख बहुत मज़ा आ रहा था अब मीरा के पास पीछे जाने जगह नही थी शौर्य अपनी बाहों का घेरा बनाके खड़े हो जाता है "तुम इतना डर क्यों रही हो मैने तो अभी तक कुछ किया भी नही है"
मीरा उसकी बात सुन आँखे बड़ी बड़ी करके देखने लगती है शौर्य अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब करते हुए कहता है "तुम बीवी हो मेरी" फिर थोड़ा रुक कर उससे दूर हो जाता है "हमारी शादी को दो महीने हो गए हैं और फिर भी तुम इतना शर्मा रही हो"
फिर वो अपने कपड़े निकलता है और वाशरूम मे जाते हुए कहता है अबसे ये हम दोनो का रूम है तो आदत डाल लो" फिर वो दरवाजा बंद कर लेता है मीरा चुप चाप उस बंद दरवाज़े को देखती है और अपने दिल पे हाथ रखते हुए कहती है "ये किसी दिन हार्ट अट्टेक से ही मार देंगे फिर वो अपने कपड़े निकालने लगती है वो लगभग ठीक हो गई थी लेकिन उसका ज़ख़्म अभी पूरी तरह से नही भरा था
वो थोड़ी देर अपने कपड़ो को देखती है फिर अपने हाथ को जिसपे स्पोर्ट लगा था ताकि उधर ज़ादा मूवमेंट ना हो और टाके ठीक रहे वो खुद से ही कहती है "वहाँ तो शीला ऑन्टी (मीरा की पड़ोसी) मदद कर देती थी यहाँ कैसे करूँगी" तभी उसे ध्यान आता है की यहाँ बहुत सारी मेड हैं वो रूम से निकलकर मेड को बुलाने चली जाती है उसे वहाँ एक औरत दिखती है जिसकी उमर करीब 45-50 होगी
मीरा उससे कहती है "ऑन्टी क्या आप मेरी मदद कर देंगी" वो औरत मुस्कुरा कर जवाब देती है "जी मैडम कहिये मै आपकी क्या मदद कर सकती हु" मीरा उसके मुह से अपने लिए मैडम सुन के अपना मुह बना लेती है फिर धीरे से कहती है
"मेरा नाम मीरा है आप मुझे मेरे नाम से बुला सकती हैं" वो मेड मीरा को प्यार से देखती है फिर उसके सिर पे हाथ फेरते हुए कहती है "ठीक है मै तुम्हारी क्या मदद करू"
"वो मुझे कपड़े बदलने है और नहाना है" उसकी नज़रें झुकी हुई थी वो मेड जिसका नाम शैलजा था वो कहती है तुम मेरी बेटी जैसी हो कोई बात नही है तुम शर्मिंदा मत हो चलो वो दोनो एक साथ वापस रूम मे आती हैं अब तक शौर्य भी तैयार हो चुका था शौर्य उन दोनो को साथ देख पूछता है "क्या बात है" शैलजा जी कहती हैं
"वो मेडम को नहाने मे मदद चाहिए थी" शौर्य एक नज़र मीरा को देखता है फिर शैलजा से कहता है "आप जाइये" मीरा बेचार्गि से शैलजा को देखती है जैसे कह रही हो "प्लिज़ मत जाइये" शैलजा उसे एक नज़र देखती है फिर बाहर चली जाती है "तुम्हे मैने एक बार बोला समझ नही आता मेरी एक बात आज ध्यान से सुन लो मुझे दुबारा ना बोलना पड़े
"तुम्हे मेरे अलावा कोई नही छु सकता समझी" उसके गुस्से भरी आवाज़ से मीरा सेहम सी जाती है फिर हिम्मत करके कहती है "लेकिन वो औरत हैं" शौर्य उसे गुस्से मे घुरता है "मर्द हो या औरत कोई नही मतलब कोई नही" फिर प्यार से उसके चहरे को अपने दोनो हाथो मे भर लेता है और प्यार से उसके आँखो मे देखते हुए कहता है "क्या मै काफी नही हु"
"जो तुम्हे मेरे होते हुए किसी और की ज़रूरत हो" मीरा उसकी आँखो मे नही देख पा रही थी वो अपनी नज़रे झुका लेती है..
"ऐसी बात नही है,, वो.. वो अ.. आ.. आप एक आदमी है इसलिए " मीरा की आवाज़ लडखडा रही थी शौर्य को उसकी मसुमियात पर बहुत प्यार आता है वो उसे अपनी गोद मे उठा लेता है.....
"आगे की कहानी जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ"
बाय बाय
वानी
#कहानीकार प्रतियोगिता